मेरो छोटो सो मदन गोपाल मचल गयो माखन पर,
माखन पर सखी मिश्री पर,
मेरा छोटो सो मदन गोपाल.....
लड्डू बनाए मैंने पेड़ा बनाए,
पूड़ी पकवान मैंने सब कुछ बनाए,
वह तो बैठो फुला के गाल मचल गयो माखन पर,
मेरो छोटो सो मदन गोपाल.....
ना इत डोले ना उत डोले,
ना अंगना किलकारी मारे,
ना चले ठुमकनी चाल मचल गयो माखन पर,
मेरो छोटो सो मदन गोपाल.....
समझा के हार गई किसने लत डार दई,
किसने मेरे लाला की आदत बिगड़ दई,
कहां से लाऊं मैं माखन नंदलाल मचल गयो माखन पर,
मेरो छोटो सो मदन गोपाल.....
द्वापर में बहती थी दूधों की नदियां,
माखन की भरी रहती थी मटकिया,
कलयुग में पढ़ो है अकाल मचल गयो माखन पर,
मेरो छोटो सो मदन गोपाल.....