कैसे मिलन हो तेरा मोहन जरा बता दे,
मुझको मेरे कर्म की ऐसी तो ना सजा दे....
तेरी एक झलक को प्यारे नजरें तरस रही हैं,
सावन की बदली जैसे कब से बरस रही है,
कहीं बन ना जाए सागर बूंदें टपक टपक कर,
कैसे मिलन हो तेरा.....
तेरी राह में कन्हैया अश्कों को यूं बहाया,
तारे लगे अरस की पलकों पे यू सजाया,
नहीं पांव होंगे मेले आ जाना बेझिझक कर,
कैसे मिलन हो तेरा....
मेरी चाहतों का मोहन ना इम्तिहान लेना,
चाहत में तेरी मुझको आता है जान देना,
मैं यूं ही जी रही हूं तिल तिल तरस तरस कर,
कैसे मिलन हो तेरा....
कैसे जियूं मैं तुम बिन मेरा कौन है सहारा,
कोई नहीं हमारा बस तू ही है हमारा,
कभी आ भी जाओ मोहन यूंही राह चलते चलते,
कैसे मिलन हो तेरा....