अब आजाओ घनश्याम देर क्यों लगायी है भोग

अब आजाओ घनश्याम देर क्यों लगायी है
असा वी दर तेरे ते अलख जगायी है

दुर्योधन के मेवे त्यागे ॥
साग वी विदुर घर आयो,देर क्यों लगायी है
असा वी......

बिलनी के बैर सुदामा के चन्दन ॥
रुच रुच भोग लगाया,देर क्यों लगायी है
असा वी......

जो तेरे भोग को खाये ॥
सो तेरा हो जाये,देर क्यों लगायी है
असा वी.....
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