संगत जेहड़ी बाहर है फिरदी,
छेती अंदर आओ,
गुट्टा उत्ते बन्नो मोलिया,
मथे तिलक सजाओ,
पहला गणपत आज मनाउना,
अज्ज नी किसे ने सोना,
जगराता मेरी माई दा.....
सोहना सुंदर भवन सजाया,
विच है मूरत लायी,
पिले शेर दी करके सवारी,
बैठी भोली माई,
उत्तो फुला दा हार भी पाउना,
अज्ज नी किसे ने सोना,
जगराता मेरी माई दा.....
ढंडया दे संदीप ने लिख्या,
हाल जो अखी दिखया,
उसनु दर्शन होंनगे जिसने ,
सबर किता है मीठा,
गुणगान है रल मिल गाउना,
अज्ज नी किसे ने सोना,
जगराता मेरी माई दा.....