आते हो श्याम तुम निधि वन में ,
कभी मेरे घर भी आया करो,
व्याकुल है मन मेरा सुनने को,
कभी मुरली मधुर बजाया करो,
आते हो श्याम तुम निधि वन में ,
ना मैं राधा हु न मैं मीरा हु,
पर प्रेम तुम्ही से करती हु,
खाते हो छप्पन भोग सदा कभी रुखा सूखा खाया करो,
आते हो श्याम तुम निधि वन में ,
रहते हो सदा तुम महलो में,
मेरी कुटिया में भी आया करो,
तेरी राह तके अखियां मेरी श्याम भगतो को न रुलाया करो,
आते हो श्याम तुम निधि वन में .....
तब आओगे मेरे श्याम प्रभु मेरे तन से प्राण निकल जाये,
मैं सेवक हु तुम स्वामी हो चरणों से हमे लगाया करो,
आते हो श्याम तुम निधि वन में ,
अपने भगतो की श्याम प्रभु तुम लाज सदा ही रखते हो,
अब दर्शन देदो गिरधारी ना ऐसे हमे तरसाया करो,
आते हो श्याम तुम निधि वन में......
दुनिया वाले मुझे पगली कहे मेरे घर वाले न समज सके,
इन्ही नटवर नागर सांवरिया जरा आके इन्हे समजाया करो,
आते हो श्याम तुम निधि वन में ......