दूल्हा ठाकुर कहते है

( दो लोक ठाकुर ठकुरानी,
ब्रज में लियो अवतार,
वृन्दावन जो लीला किन्ही,
राधा कृष्ण मुरार,
लीला नित हो रही मंदिरो में,
आजा वही साकार,
भिन भिन उन लीला झाकिन को,
करलो मधुप दीदार। )

बांके बिहारी हरिदास जो दुलारा है,
सांवरा सलोना निलमनी उजियारा है,
मंदिर के नज़ारे रंगले,
सजे फूल कलियों में,
पड़े रहते है फूल बंगले.....

हित हरि बंस जु के ठाकुर कमाल है,
ऊँची डोर साजे राधा बल्लभ कमाल है,
बड़ी ठाट से रहते है,
लोग वृन्दावन में इन्हे,
दूल्हा ठाकुर कहते है....

शालिग्राम जो जटा बड़ी प्यारी है,
राधा रमन की शवि बड़ी न्यारी है,
श्री गोपाल बट्ट जो दुलारा,
तीखे नैनन वाला,
पाँव पायल का छल डाला.....

राधा हृदय से प्रगटे है श्याम सुंदर,
श्यामानन्द प्रभु के बसे है मन मंदिर,
बड़ी मधुर मनोहर चित,
मोह ते अक्षेत्र तिय को,
ठाकुर के चंदन दर्शन.....

राधा दामोदर दर्श जो दिखाया,
रूप गोस्वामी जो मंदिर बनवाया,
यहाँ चार परिक्रमा जो ले,
मधुप गोवर्धन की,
परिक्रमा का फल है मिले....

(सर्वाधिकार लेखक आधीन सुरक्षित। भजन में अदला बदली या शब्दों से छेड़-छाड़ करना सख्त वर्जित है)
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