तु मन की अति भोरी ओ मईया मोरी तू मन की अति भोरी,
जा को घर भरियो दही माखन सू,
वो क्यो करन लग्यो चोरी,
ओ मईया मोरी तू मन की अति भोरी,
ना काहु को माखन खायो ना कोई मटकी फोडी,
मोरे मुख माखन मल के रे सनमुख,
लाई अहीर की छोरी,
ओ मईया मोरी तू...
दिन दिन भर मे तो धेनु चरावत करत चाकरी तोरी,
फिर उपर से वाकी सुनत है ,
झुठी कहानी जोरी,
ओ मईया मोरी तू मन की अति भोरी....
Rashid mayur 9672602462