मन्दिर मे रहते हो भगवन, कभी बाहर भी आया जाया करो ||
मैं रोज़ तेरे तेरे दर आता हूँ, कभी तुम भी मेरे घर आया करो ||
मै तेरे दर का योगी हूँ,
हुआ तेरे बिना वियोगी हूँ |
तेरी याद मे आसूं गिरते हैं,
इतना ना मुझे तद्पाया करो ||
आते क्यों मेरे नजदीक नहीं,
इतना तो सताना ठीक नहीं |
मैं दिल से तुमको चाहता हूँ,
कभी तुम भी मुझे अपनाया करो ||
मैं दीन हूँ, दीनानाथ हो तुम,
सुख़ दुःख मे सब के साथ हो तुम |
मिलने की चाह खामोश करें,
कभी तुम भी मिला-मिलाया करो ||