((तर्ज -साईं मेरे मन में है))
श्याम मेरे मन में है श्याम मेरे तन में है,
जिधर भी देखु श्याम कण कण दिखाई दे
भक्तो का तू ही पालनहारा तू ही रखवाला
श्याम मेरे मन में है श्याम मेरे तन में है,
जो तेरा सच्चे मन से ध्यान लगाये, उस तू बेड़ा पार करे
जो शीश तेरे चरणों में झुकाये, उस को फिर दुनिया में न झुकने दे ,
करे रखवाली उस भगत के घर की
श्याम मेरे मन में है श्याम मेरे तन में है,
आँखों से तेरे प्रेम ही बरसे दर्शन को अब ये नैन तरसे,
आये हम सब द्वार तुम्हारे, हो हारे के सहारे
हर लो दुःख दर्द हमारे, कहे अविनाश करो बाबा उधार हमारा ,
श्याम मेरे मन में है श्याम मेरे तन में है,,
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