हे श्याम मेरी नैया उस पार लगा देना,
अब तक तो निभाया है आगे भी निभा देना,
हम दीं दुखी निर्गुण नित नाम जपे परतिपल,
यह सोच दर्श दोगी प्रभु आज नहीं तो कल,
जो भाग लगाया है फूलो से सजा देना,
हे श्याम मेरी नैया उस पार लगा देना,
तुम शान्ति सुधा गर हो तुम ज्ञान विवाकर हो,
मन हंस चुग हे मोती तुम मान सरोवर हो,
दो बून्द सुधा रस की हम को भी पीला देना,
हे श्याम मेरी नैया उस पार लगा देना,
रोकोगे भला कब तक दर्शन को मुझे बाबा,
चरणों से लिप्त जाऊ परीछा से लता जैसे,
अब दवार खड़ी तेरी मुझे राह दिखा देना,
हे श्याम मेरी नैया उस पार लगा देना,
मझधार पड़ी नाइयाँ डगमग डोले भव में,
आओ हे खाटू धनि हम ध्यान धरे मन में,
अब भक्त करे विनती मुझे अपना बना लेना,
हे श्याम मेरी नैया उस पार लगा देना,