अंजनी के पुत्र पवनसूत ने कोई दई है अंगूठी डार,
भला जी कोई दई है अंगूठी डार.....
पेड़ के नीचे सीता बैठी मुंदरी देख घबराई,
यह मुंदरी मेरे श्रीराम की किसने यहां पहुंचाई,
कोई दई है अंगूठी डार.....
दिल घबरानी मत करो माता हम ही अंगूठी लाए,
कूद फांद लंका में आए हम ऐसे बलवान,
कोई दई है अंगूठी डार.....
हमको भूख लगी है माता क्या कुछ बन में खाएं,
कंदमूल फल खाकर हनुमत अपनी भूख मिटाए,
कोई दई है अंगूठी डार.....
फल खाए कुछ बाग उजाड़े बहुत किया नुकसान,
बीन बान के योद्धा मारे दीनो अक्षय कुमार,
कोई दई है अंगूठी डार.....
भरी सभा में हनुमत ने रावण को दिया ललकार,
पूंछ में बाकी आग लगाई दीनी लंक जराए,
कोई दई है अगुढी डार.....