मंगलगीतम

श्रित-कमलाकुचमण्डल, धृतकुण्डल ए।
कलित-ललित-वनमाल, जय जय देव हरे।।

दिनमणि-मण्डलमण्डन, भवखण्डन ए।
मुनिजन-मानस-हंस, जय जय देव हरे।। श्रित ..।।

कालिय-विषधर-गंजन, जनरंजन ए।
यदुकुल-नलिन-दिनेश, जय जय देव हरे।। श्रित ..।।

मधुमुर-नरक विनाशन, गरुडासन ए।
सुरकुलकेलि-निदान, जय जय देव हरे।। श्रित .. ।।

अमल-कमलदल-लोचन, भवमोचन ए।
त्रिभुवन-भवन-निधान, जय जय देव हरे।। श्रित .. ।।

जनकसुताकृतभूषण, जितदूषण ए।
समर-शमित-दशकण्ठ, जय जय देव हरे।। श्रित ..।।

अभिनव जलधर सुन्दर, धृत-मन्दर ए।
श्री मुखचन्द्र-चकोर, जय जय देव हरे।। श्रित ..।।

तव चरणे प्रणता, वयमइति भावय ए।
कुरु कुशलं प्रणतेषु, जय जय देव हरे। श्रित.. ।।

श्रीजयदेवकवेरुदितमिदं, कुरुते मृदम् ए।
मंगलमंजुलगीतं, जय जय देव हरे।। श्रित .. ।।
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