मेरे शीश के दानी जैसा कोई नहीं

दानी में सबसे बड़े दानी,
मेरे शीश के दानी जैसा कोई नहीं,
मेरे श्याम के जैसा कोई नहीं,
मेरे बाबा के जैसा कोई नहीं,
दानी में सबसे बड़े दानी,
मेरे शीश के दानी जैसा कोई नहीं....

कलयुग का देव निराला है,
हारे को जिताने वाला है,
इनके लीले सा कोई नहीं,
इनके भक्तों सा कोई नहीं,
दानी में सबसे बड़े दानी,
मेरे शीश के दानी जैसा कोई नहीं.....

जब भक्तों पे विपदा आये,
ये मोरछड़ी लहरा जाए,
इनकी कृपा का पार नहीं,
इनकी लीला का तार नहीं,
दानी में सबसे बड़े दानी,
मेरे शीश के दानी जैसा कोई नहीं.....

पर्चे हज़ारों होते हैं,
आशीष सभी अखाड़े में,
आलूसिंह जैसा कोई नहीं,
और श्याम बहादुर सा कोई नहीं है,
दानी में सबसे बड़े दानी,
मेरे शीश के दानी जैसा कोई नहीं.....
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