श्याम मुरली तो बजाने आओ जी,
रूठी राधा को मनाने आओ जी....
ढूँढती है तुझे ब्रज की बाला,
रास मधुबन में रचाने आओ जी,
श्याम मुरली....
राह तकते हैं यह गवाले कब से,
फिर से माखन को चुराने आओ जी,
श्याम मुरली....
इंद्र फिर कोप कर रहा बृज पर,
नख पर गिरिवर को उठाने आओ जी,
श्याम मुरली....