रग रग में तू है वसा ओ कान्हा
तेरे रंग में रंगा हु मैं तेरी प्रीत सजाउ मैं
तेरे दर्श को नैना मोरा तरसे
लौटा न खाली कोई तेरे दर से,
आजा ओ कान्हा मेरे अब तो तू आजा,
राह निहारु मैं मेरे कान्हा
मेरे मन में तू ही वसा तेरी आस लगाउ मैं
तेरी जोगन तुझको पुकारे तुम बिन कान्हा कौन सहारे,
कैसे मनाऊ तुझे कैसे बुलाऊ,
रूठो न हे भगवन इस तन के
दर्पण में तेरी रूप निहारु मैं