हरि नाम जपले, राम नाम जपले, मनवाँ क्यों घबराये,
इक वही पार लगाये, प्रभु ही पर लगाये,
हरि नाम... ॐ नाम.....
झूठे सारे जग के नाते, कैसे जग बंधन को काटे,
एक ही सच्चा नाता जग में, सब अर्पण उसके चरणन में,
हर पल ये मन प्रभु के ही गुण गाये,
इक वही पार लगाये.......
तेरे नाम की महिमा भारी, मीरा भई मोहन मतवारी,
तेरा नाम लिया गज ने तो, आये मुरलीधर गिरधारी,
नाम तेरा ध्यान तेरा, मेरे मन को भाये,
इक वही पार लगाये.......
मन मंदिर अंतर में मूरत, नैनों में हरपल तेरी सूरत,
ये मन तेरी महिमा गाये, मेरे स्वर में तू रम जाए,
ओम नाम हरि नाम, जो सुमिरे सुख पाये,
इक वही पार लगाये.......