माता एक लाल दो

जय जय भवानी माँ,
जय जय शिवानी माँ,
जय जय वरदानी माँ,
जय जय कल्याणी माँ,
माता वैष्णो एक लाल दो,
पूरा ये मेरा कर सवाल दो,
ये मांगने मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
माता वैष्णो एक लाल दो,
ये मांगने मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
सुन सुन माँ तेरे दरबार में,
हा माँ तेरे दरबार में,
तेरे दरबार में,
हा माँ तेरे दरबार में,
ये ही आस ले मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
मैं आ गयी.....

सबको तुमसे सब कुछ मिला,
मेरी आस का फूल न खिला,
सुनी गोद है सुना घर मेरा,
अब तो कल्याण मैया कर मेरा,
क्या है दर्द माँ तू है जानती,
सुन माँ कुल का दीप मैं,
तुमसे मांगती,
बड़ी आस ले मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
माता वैष्णो एक लाल दो,
पूरा ये मेरा कर सवाल दो......

बाहो का झोला ये तरसता है माँ,
मेरे बारे तुम माँ सोये हो कहाँ,
तुम भी ना सुनो तो किसको मैं कहु,
मैं कैसे तेरे द्वार की आस छोड़ दू,
तब से दिल मेरा तड़पता है ये,
मुझे भी प्यार से कोई तो माँ कहे,
खाली झोली ले मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
सुन सुन सुन माता वैष्णो एक लाल दो,
पूरा ये मेरा कर सवाल दो....

सबका उद्धार तुमने किया,
मेरा ही ये घर क्यों याद ना रहा,
मुड़ी तो निराश तेरे धाम से,
हर्फ़ आयेगा माँ तेरे नाम पे,
मेरे सर पे अब तो हाथ रख माँ,
छत्र सोने का लाऊंगी यहाँ,
ये कहने को मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
माता वैष्णो एक लाल दो,
ये मांगने मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
तेरे दरबार में,
हा माँ तेरे दरबार में,
तेरे दरबार में,
हा माँ तेरे दरबार में,
ये ही आस ले मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
मैं आ गयी,
मैं आ गयी माँ,
मैं आ गयी.....
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