दिल कहे रुक जा रे रुक जा, यहीं पे यहीं
जो बात इस जगह में, है कहीं पे नहीं,
मंदिर ऊपर पीपल डाली, झाँके सुन्दर भोर,
चले पवन सुहानी
गाँव के नर नारी मिलकर, करेला शोर
बोले जय जय भवानी
हर कोई हर कोई बोले, जय माता दी
सुन भाई सुन भाई यहाँ ,जय माता दी
दिल कहे रुक जा रे रुक जा, यहीं पे यहीं
जो बात ॥ इस जगह में, है कहीं पे नहीं
बड़े बड़े भक्त तेरे, दर पे झुकाये शीश,
कहे सुन माँ हमारी
बड़े बड़े पापी को तारे, हमको गई मिस,
क्यों माँ हमारी
जगमग जगमग करे ,ये मंदिर तेरा
हरदम हरदम जपूँ , नाम तेरा
दिल कहे रुक जा रे रुक जा, यहीं पे यहीं
जो बात ॥ इस जगह में, है कहीं पे नहीं।
भक्तों के ये जमघट, जिनके मुख से निकले बोल
जय हो भवानी
हमसब हैं अल्हड़ मैया, माफ करना हमरी भूल
जय हो महारानी
मैया मैया पुकारे हम सब यहाँ
दर्शन दे दो मैया एक बार यहाँ
दिल कहे रुक जा रे रुक जा, यहीं पे यहीं
जो बात ॥ इस जगह में, है कहीं पे नहीं॥
रचना : प्रभाकर कुमार
माँ काली मंदिर सोहजाना गिद्वौर जमुई