राम लला की जन्मभूमि,
तीनों लोकों से न्यारी है,
श्री हरि ने बैकुंठ से ये,
नगरी धरती पे उतारी है,
चलो अयोध्या धाम चलें,
कहते जय श्री राम चलें……
बन कौशल्या मां के ललना,
प्रकटे दशरथ के अंगना,
तीनो लोक पालने वाले,
बालक बन झूले पलना…….
दशरथ सुत कौशल्या नंदन,
अवध बिहारी राम की जय,
जय बोलो राजीव नयन की,
रघुवर शोभा धाम की जय…………..
नर के रूप में नारायण को,
अपनी गोद में धारी है,
राम लला की जन्मभूमि,
तीनों लोकों से न्यारी है,
चलो अयोध्या धाम चलें,
कहते जय श्री राम चलें……….
है बैकुंठ का अंश अयोध्या,
धाम में कण कण राम बसे,
हर मानव के अंतर्मन में,
प्रभु श्री राम का नाम बसे……
मानसरोवर का पावन जल,
कल कल जिनमे बहता है,
उन सरयू मैया का दर्शन,
वन्दन सब दुख हरता है…..
कनक भवन हनुमान गढ़ी का,
दर्शन मंगलकारी है,
राम लला की जन्मभूमि,
तीनों लोकों से न्यारी है,
चलो अयोध्या धाम चलें,
कहते जय श्री राम चलें……