खिल गए सारे नज़ारे,
घर में सतगुरु पधारे करामात हो गई,
घर मेरे आये सतगुरु प्यारे मैं दोनों जहां उन पे बारे,
सतगुरु आने का कुछ मकसद होगा,
खिल गये सारे नज़ारे ओये क्या बात हो गई ,
सतगुरु आये तो फूलो की बरसात हो गई,
दवार बुलना मुझे ना भुलाना चाहे मारे ये ताना जमाना,
दर पे जाने का कुछ मतलब होगा,
खिल गए सारे नज़ारे ओये क्या बात हो गई ,
दर पे जाना तो एक सोगात हो गई,
जग जाने सारा ये दर्श तुम्हारा पांदे ने भागा वाले,
दर्शन पाने का कुछ मकसद हो गा,
खिल गये सारे नजरे ओये क्या बात हो गई,
दर्शन पाके ये संगत निहाल हो गई,
दर तेरे आके सिर नु झुकाके मैं बदल लाइ तकदीरा,
सिर झुकाने का कुछ मतलब होगा,
खिल गये सारे नज़ारे ओये क्या बात हो गई,
सिर झुकाने से जीवन में बहार आ गई,
घर में सतगुरु पधारे करामात हो गई,॥