मन के कोरे कागज़ पे लिख दे,
कोई मेरे राम नाम की गाथा,
सूने मन के आंगन में बस जाएं,
मेरे प्रभु राम जी दिन राता,
मैं तो मन को ही मंदिर बनाऊंगा,
राम इसमें बसाऊंगा......
राम अंतर्यामी हैं,
हैं सकल जगत के स्वामी,
पार ब्रह्म परमेश्वर हैं,
सब ने महिमा जानी,
उनकी महिमा सब को बताऊंगा,
राम को मन में बसाऊंगा,
मैं तो मन को ही मंदिर बनाऊंगा,
राम इसमें बसाऊंगा....
अमृत सा मेरे कानों में कोई,
राम नाम का घोले,
वंदन हो सदा उनका,
राम ही राम सब बोले,
राम सुनूंगा और सबको सुनाऊंगा,
राम को मन में बसाऊंगा,
मैं तो मन को ही मंदिर बनाऊंगा,
राम इसमें बसाऊंगा.....
कोई दिखा दे राजीव मुझको,
छवि मनोरम मेरे राम की,
देखे ना पाए जो मेरी आँखें उनको,
हैं वो मेरे किस काम जी,
करूंगा दर्शन सबको करवाऊंगा,
राम को मन में बसाऊंगा,
मैं तो मन को ही मंदिर बनाऊंगा,
राम इसमें बसाऊंगा.....
©राजीव त्यागी