फूल लेने रानी तारा ने अपनों कुमर पठायो

फूल लेने रानी तारा ने अपनों कुमर पठायो।

विश्वामित्र मुनि ने बनके सर्प कुमर डस खायो,
काशी की गलियन में जाए के दही आवाज लगाई है,
बगिया में गयो कुमर किसी को लियो सर्प  ने खाई है,
कान आवाज सुनी  तारा ने तन को होस बुलायो,
विश्वामित्र मुनि ने बनके सर्प कुमर डस खायो,
फूल लेने रानी तारा ने अपनों कुमर पठायो।

विश्वामित्र मुनि ने बनके सर्प कुमर डस खायो,
होश में आई फिर उठे ढाई बगिया में गई आई है,
गोदी में ले लो कुमर फिर दीनों रुधन मचाई है,
बिगरी लाश जात बेटा की विश्वामित्र बताई,
विश्वामित्र मुनि ने बनके सर्प कुमर डस खायी,
फूल लेने रानी तारा ने अपनों कुमर पठायो।

विश्वामित्र मुनि ने बनके सर्प कुमर डस खायो,
लाइके लास चल दई तारा मार घट जाए उतारी है,
क्रिया कर्म करने की भैया करण की तैयारी है,
हरिश्चंद्र राजा ने भैया रानी को धमकाया,
विश्वामित्र मुनि ने बनके सर्प कुमर डस खाया,
फूल लेने रानी तारा ने अपनों कुमर पठायो।

विश्वामित्र मुनि ने बनके सर्प कुमर डस खायो,
याद करो उस दिन की रानी घड़ा नहीं उठाओ तो,
उल्टे सीधे हमसे बोली भंगी मोहे बताओ तो,
हरिश्चंद्र कहे लास न जरिए कर का देव चुकाई,
विश्वामित्र मुनि ने बनके सर्प कुमर डस खायी,
फूल लेने रानी तारा ने अपनों कुमर पठायो,
विश्वामित्र मुनि ने बनके सर्प कुमर डस खायो,
विश्वामित्र मुनि ने बनके सर्प कुमर डस खायी.....
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