कैसी शामाधि लगाई रे भोला अखियां न खोले
अखियां न खोले भोला कुछ भी न बोले
कैसी शामाधि लगाई रे भोला अखियां न खोले
ब्रम्हा भी बोले और विष्णु भी बोले,
नारद ने विणा बजायी रे भोला अखियां न खोले,
राम भी बोले औऱ श्याम भी बोले,
श्याम ने बंशी बजायी रे भोला अखियां न खोले,
गंगा भी बोले और यमुना भी बोले,
सरयू ने लहार बड़ाई रे भोला अखियां न खोले,
भक्त भी बोले और संत भी बोले,
भक्तो ने भंगिया चढ़ाई रे भोला अखोय अब खोले ,