तर्ज – तेरे चेहरे में वो जादू है
मेरे ब्रज की माटी चंदन है,
गुणवान सभी कहते है,
ब्रज के राजा यशोदानन्दन,
गिरधारी जहाँ रहते है,
मेरे ब्रज की माटी चंदन है.....
जिसको कहते है नंदलाला,
सारे जग का श्याम उजाला,
मन का उजला तन का काला,
मन के मंदिर में श्याम समाए,
ऐसा कोई नहीं दिल वाला,
खुला खजाने का है ताला,
सोई किस्मत खोलने वाला,
ऐसे वरदानी श्याम कहाए,
सब भक्त श्री राधा भक्ति की,
सब भक्त श्री राधा भक्ति की,
धारा में जहाँ बहते है,
मेरे ब्रज की माटी चंदन हैं,
गुणवान सभी कहते है,
ब्रज के राजा यशोदानन्दन,
गिरधारी जहाँ रहते है,
मेरे ब्रज की माटी चंदन है.......
गोवर्धन परिक्रमा न्यारी,
आते दुनिया के नर नारी,
झुकाती द्वार पे दुनिया सारी,
राधे राधे के गुण गाते,
राधे श्याम के भक्त निराले,
आते दूर से आने वाले,
पाँव में पड़ जाते है छाले,
अपनी मन की मुरादों को पाते,
उतना ही सुख मिलता जितना,
उतना ही सुख मिलता जितना,
दुःख दर्द यहाँ सहते है,
मेरे ब्रज की माटी चंदन हैं,
गुणवान सभी कहते है,
ब्रज के राजा यशोदानन्दन,
गिरधारी जहाँ रहते है,
मेरे ब्रज की माटी चंदन है......
कोई पैदल पैदल जाए,
कोई दूध की धार चढ़ाए,
गिरधर गिरधर नाम को गाए,
कोई श्रद्धा सुमन ले आता,
ये गिरिराज धरण का कहना,
राधे नाम को जपते रहना,
पहना भक्ति भाव का गहना,
सोई किस्मत को चमकाता,
‘हेमंत’ बना ब्रज का वासी,
‘हेमंत’ बना ब्रज का वासी,
गा गा के यही कहते है,
मेरे ब्रज की माटी चंदन हैं,
गुणवान सभी कहते है,
ब्रज के राजा यशोदानन्दन,
गिरधारी जहाँ रहते है,
मेरे ब्रज की माटी चंदन है........