मेरा कान्हा है तुफानी,
ब्रज में करता है मनमानी,
तिरछी नैनन तीर चलावे,
दिल में रहती राधा रानी ।
कान्हा जैसो चटक मटक मोहें,
और ना कोऊ लागे,
और ना कोऊ लागे,
खूब सतावे ब्रज गोपिन को,
फोड़ के मटकी भागे,
फोड़ के मटकी भागे,
पकड़ें यशुमति मैया रानी,
बोलें ना करना नादानी,
तिरछी नैनन तीर चलावे,
दिल में रहती राधा रानी,
मेरा कान्हा है तुफानी----।
ऐसो मोह लग्यो माखन की,
चोरी करने जावे,
चोरी करने जावे,
आपहु खावे ग्वाल चखावे,
कोऊ पकड़ ना पावे,
कोऊ पकड़ ना पावे,
ग्वालिन खुब करैं निगरानी,
फिर भी हाथ कभी ना आनी,
तिरछी नैनन तीर चलावे,
दिल में रहती राधा रानी,
मेरा कान्हा है तुफानी---।
निकल पड़ा है ब्रज गलियन में,
मुरली मधुर बजाने,
मुरली मधुर बजाने,
ग्वाल बाल सब धावैं पाछे,
कान्हा संग सुख पाने
कान्हा संग सुख पाने,
कान्हा रूप देखि नूरानी,
गोपिन बेसुध भई दीवानी,
तिरछी नैनन तीर चलावे,
दिल में रहती राधा रानी,
मेरा कान्हा है तुफानी ।।
आभार: ज्योति नारायण पाठक