राधे तेरे चरणों की बन गई मैं दासी,
तेरे दर्श को अखिया प्यासी,
राधे तेरे चरणों की बन गई मैं दासी........
जब जब देखु तोहरी नगरियां,
भर भर आवे प्रेम गगरियाँ,
आई मैं शरण तुम्हारी,
राधे तेरे चरणों की बन गई मैं दासी.......
तेरी मोहनी शवि निराली,
करती हो सबकी रखवाली,
आई मैं शरण तिहारी,
राधे तेरे चरणों की बन गई मैं दासी.........
बरसाने के गली रंगीली,
छाए रही छवि छठा छबीली,
मैं इस पे बलहारी,
राधे तेरे चरणों की बन गई मैं दासी