गुरुदेव तुम्हारे चरणों में हम शीश झुकाने आए हैं
तर्जः ऐ श्याम तेरे जलवों की कसम
गुरुदेव तुम्हारे चरणों में, हम शीश झुकाने आये हैं उठो संभालो अपनालो, हम विगड़ी बनाने आये हैं
1. सुनते हैं कामल मुरशिद विना, जिन्दगी, जिन्दगी वन पाती नहीं
मंजिल दिखलादी नाथ हमें, हम मंजिल पाने आये हैं।
2. उलझा उलझा सा जीवन है, थक्क गया 'मधुप' मन भटकन में
सब कुछ पा करके खो बैठे, अव खो कर पाने आये हैं ।
3. है मन मन्दिर का दीप वुझा, करें कैसे आरती ठाकुर की
अन्धकार हरो उजयार करो, हम दर्शन पाने आये हैं।