दोहा : दरबार तेरा दरबारों में, एक ख़ास एहमियत रखता है ।
उसको वैसा मिल जाता है, जो जैसी नियत रखता है ॥
बड़ा प्यारा सजा है द्वार भवानी ।
भक्तों की लगी है कतार भवानी ॥
ऊँचे पर्बत भवन निराला ।
आ के शीश निवावे संसार, भवानी ॥
प्यारा सजा है द्वार भवानी ॥
जगमग जगमग ज्योत जगे है ।
तेरे चरणों में गंगा की धार, भवानी ॥
तेरे भक्तों की लगी है कतार, भवानी ॥
लाल चुनरिया लाल लाल चूड़ा ।
गले लाल फूलों के सोहे हार, भवानी ॥
प्यारा सजा है द्वार, भवानी ॥
सावन महीना मैया झूला झूले ।
देखो रूप कंजको का धार भवानी ॥
प्यारा सजा है द्वार भवानी ॥
पल में भरती झोली खाली ।
तेरे खुले दया के भण्डार, भवानी ॥
तेरे भक्तों की लगी है कतार, भवानी ॥
लक्खा को है तेरा सहारा माँ ।
करदे अपने सरल का बेडा पार, भवानी ॥
प्यारा सजा है द्वार भवानी ॥