राघव तेरे चरणों की मैं धूल कैसे पाऊं।
विनती में एक अपनी कैसे तुम्हें सुनाऊं।।
दर पे तुम्हारे आया ठुकरा दे या उठाले,
मैं गरीब रघुवर कृपा तेरी कैसे पाऊं।।
ध्रुव प्रहलाद जैसे भक्ति ना मेरी राघव।
केवट जैसे प्रभु मैं कैसे चरण ये पाऊं।।
तुलसी कबीर जैसे मुझ में न ज्ञान राघव।
राजेंद्र जटायु जैसे तेरे गोद कैसे पाऊं।।