तू सोच ना पाएगा ऐसा ये खेल रचाएगा

तर्ज़ : क़िस्मत वालों को मिलता है श्याम तेरा दरबार )

तू सोच ना पायेगा ,ऐसा ये खेल रचायेगा
चिंता तेरे जीवन की ..२
श्याम मिटायेगा...

इनके भरोसे जब हो जाएगा ,संग मे हरपल इनको पायेगा
गफ़लत मे खोया रह जाएगा ,काम तेरा अटका बन जाएगा
रहमत की किरपा तुझपे ..२
ये बरसायेगा...

सेवा इनकी जब भी बजाएगा,उलझन तेरी ये सुलझायेगा
प्रेम भाव से भजन सुनाएगा ,अपने मन को हल्का पाएगा
बाहो मे भर कर तुझको ..२
गले लगायेगा...

हर परिणाम को तू जो स्वीकारे ,बाबा की मर्ज़ी है ये मानें
बेहतर तेरा मलिक सोच रहा,ऐसा अपने दिल को समझाले
"मोहित"बातों पे अमल हो ..२
तू सुख पायेगा....

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