देखो झूम रहे धरती झूम रहे गगन,
मेग बरसाये बदरा होके मगन,
होली खेल रहे कृष्ण मुरारी लगाये रंग राधा प्यारी,
रंग रसिया रंग खेल रहे है हाथ में लेके कनक पिचकारी,
वृन्दावन की कुञ्ज गली में दौड़ रहे है कृष्ण मुरारी,
लीला रच रहे लीला धारी,लगाये रंग राधा प्यारी...
सतरंगी सी सजी फुलवाड़ी हर्शित हो रही दुनिया सारी,
स्वर्ग सा सूंदर लगे वृद्धावन भीग रहे है सब नर नारी,
किरपा बरसा रहे वनवारी लगाये रंग राधा प्यारी,