तेरी रेहमत के सदके मैं जाऊ,
सिर झुका के मैं तुझको मनाऊ,
श्याम क्यूँ मुझसे ख़फ़ा है,
क्या है किसी से काम तुझे देखने के बाद,
मेरी जुबा मेरा नाम तुझे देखने के बाद,
मुझसे खफा क्यों श्याम,
श्याम क्यूँ मुझसे ख़फ़ा है
मेरी कश्ती ववर से निकालो मैं हु मुश्किल में आकर संभालो,
ऐसा ना हो के मैं दुभ जाओ तेरे जैसा ना माजी मैं पाउ,
श्याम क्यूँ मुझसे ख़फ़ा है
बड़ी शिकदत से तुमको पुकारा तेरे रहते मैं क्यों बेसहारा,
हाल दिल इस तरह मैं बाताओ मैं तो अश्को में बहती ही जाऊ,
श्याम क्यूँ मुझसे ख़फ़ा है.......
मेरे जख्मो पे मरहम लगा दे,
तेरी सुरभि की बिगड़ी बना दे,
कहता चोखानी क्या क्या सुनाऊ,
तेरी खिदमत में खुद को मिटाऊ,
श्याम क्यूँ मुझसे ख़फ़ा है