दिल की जमी पर जब फसलिया यादो की वोवोगे,
जिससे जितने प्यार करोगे उतना रोवोगे,
कैसा होता दर्द टूटने का डाली से पूछो,
पतझड अाने की पीडा को हरियाली से पूछो,
एक कली खिलने से पहले कोई तोड ले जाये,
क्यो गुमसुमसा हो जाता है उस माली से पूछो,
पा जाअोगे सब कुछ खुद को जितना खोवोगे,
दिल की जमी पर जब़...............
नदिया जब से गई छोड कर सूने हुये किनारे,
रूठ गये है श्वर जिस दिन से टूट गये इक तारे,
जब तक नील गगन मे रहते चमक नही खोते है,
जाने कहा चले जाते है टूटे हुये सितारे,
सपने अपने हो जायेगे जब भी सोवोगे,
दिल की जमी पर जब..............
जो कुछ बाहर देख रहे हो वो तो एक सपना है,
जो मन के अन्दर बैठा है सिर्फ वही अपना है,
जिसको तुमने पेड उमृ भर बनकर बांटी छाया,
उस के ही हॉथो से एक दिन शाखो को कटना है,
सिर पर गठरी बहुत बडी हैकैसे ढोवोगे,
दिल की जमी पर जब फसल यॉदो की बोवो गे,
जिससे जितना प्यार करोगे उता रोवोगे दिल की....
गायक रसीद मयूर इटावा राजस्थान
पैड प्लेर रहीस मयूर इटावा राजस्थान
9785090030,9829962362