तर्ज:-आया रे खिलौने वाला,
खेल खिलौने लेके आया रे
भाया रे वो लीले वाला श्याम सलोना मुझे भाया रे भाया रे
श्याम की महिमा गाऊँ,
मैं श्याम को सदा मनाऊ
भाया रे.....
1.जब भी मेरे सर पे,मुसीबत है आई,
मोरछ्ड़ी बाबा की,तभी लहराई ,
श्याम के रहूँ सहारे,वो करता वारे-न्यारे ।
भाया रे....
2.शीश का दानी है,वो जग से निराला
कलियुग के अंधेरे में,वो करता उजाला
पाप की आंधी छाई,
तो श्याम ने ज्योत जलाई
भाया रे .....
3.जो भी इस दुनिया से,है हार के आता
हारे का सहारा ही,उसे अपनाता
विष्णु वो मान बढ़ाये,
उसे जग से जीत दिलाये
भाया रे....
लेखक: विष्णु कुमार सोनी(कानपुर)
श्री हरिदास निष्काम संर्कींतन