दाता के दरबार मे खड़े
सभी हाथ जोड़।
देवन वाला एक है मांगत
लाख करोड़॥
आज भी तेरा आसरा कल भी
तेरी आस।
घड़ी-घड़ी तेरा आसरा छः
ऋतु बारह मास॥
प्रभु धन इतना दीजिये
जा मे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ
मेरा साधू न भूखा जाए॥
गुनाहगार की बैनती
सुनो गरीब नेबाज।
जे मैं पूत कपूत हूँ
मेरी आप पिता रखो लाज॥
बंसरी वाले सांवरे देओ
दर्शन एक बार।
शरण पड़े की लाज रखो
प्रभु छूटे न तेरा साथ॥
बाँकी झांकी श्याम की
बसे हृदय के बीच।
जब चाहूँ दर्शन करूँ
झट-पट आंखे मीच॥
गैया का दूध पिऊँ
गायत्री का जाप करूँ।
गीता जी का पाठ करूँ
करूँ गुण गान भी॥
सदा सच्ची रीत होवे
आत्मा से प्रीत होवे।
बड़ो जैसी रीत होवे
हाथों से दान भी॥
संगत की ये अरदास आपके
चरणों के पास।
करज करो सबके रास
वख्शो प्रभु ज्ञान भी॥