आई बहार बसन्ती है
आज युगल सरकार किया, शृंगार बसन्ती है - आई बहार०
ऋतुराज नुहार बसन्ती । बरस रही रसघार बसन्ती ।
वृन्दावन आकार बसन्ती । यमुना जल की धार बसन्ती ।
बेल वृक्ष की डार बसन्ती । महक रही गुलज़ार बसन्ती ॥
बाल वृद्ध तरु ग्वाल बाल की, डार बसन्ती है - आई बहार०
साजों की झंकार बसन्ती । पायल की छनकार बसन्ती ।
गूंज रही जयकार बसन्ती । राधा कृष्ण मुरार बसन्ती ।
आरती पूजा थाल बसन्ती । बजे शंख घड़ियाल बसन्ती ।
आज बसन्ती ठाकुर का, दरबार बसन्ती है - आई बहार०
फागुन की फुहार बसन्ती । सरसों की फुलवार बसन्ती ।
कोयल की कूकार बसन्ती । करे 'मधुप' गुंजार बसन्ती।
बुलबुल का हे प्यार बसन्ती । ठाकुर की जयकार बसन्ती।
आभूषण पट रेशम की, चमकार बसन्ती हे - आई बहार०