रख ले मुझको भी कान्हा, शरण में तेरी ,

तर्ज - ले तो आया हो हमको सपनो के गांव में

रख ले मुझको भी कान्हा, शरण में तेरी ,
रख ले मुझको भी कान्हा, शरण में तेरी ,
सेवा में अपनी, लगा ले जरा ,
सेवा में अपनी, लगा ले जरा ,

जैसा तू चाहे वैसा, करुँगी श्रृंगार मैं ,
अपने हाथो से तुझे, करुँगी तैयार मैं ,
क्या हैं पसंद, तुझको मोहन, तू बता दे जरा ,
सेवा में अपनी, लगा ले जरा ,
सेवा में अपनी, लगा ले जरा ,

जैसा तू चाहे वैसा ,भोजन बनाऊ ,
अपने हाथो से कान्हा, तुझको खिलाऊ,
क्या हैं पसंद, तुझको मोहन, तू बता दे जरा ,
सेवा में अपनी, लगा ले जरा ,
सेवा में अपनी ,लगा ले जरा ,

जैसा तू चाहे वैसा , भजन सुनाऊ,
भजनों से कान्हा मैं, तुझको रिझाऊ ,
क्या हैं पसंद, तुझको मोहन, तू बता दे जरा ,
सेवा में अपनी लगा ले जरा ,
सेवा में अपनी लगा ले जरा ,

जैसा तू चाहे वैसा, फूल मंगाऊ ,
फूलो से कान्हा मैं, तुझको सजाऊ ,
क्या हैं पसंद, तुझको मोहन, तू बता दे जरा ,
सेवा में अपनी लगा ले जरा ,
सेवा में अपनी लगा ले जरा ,

Bhajan Lyrics - Jay Prakash Verma, Indore

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