झूला झूले सांवरिया सवान रे ऋतू आई,
मुरली भजाये मुरली वाला करि बदरी छाई,
मेघा आज बरसो जी श्याम रंग बरसो जी,
झूला झूले सांवरिया सवान रे ऋतू आई,
गोपियों की जब भीगी चुनरिया श्याम मंद मुस्काये,
कंकर मार तोड़ गगरी को कान्हा खूब सताये,
नाचे मोर बोले कोयलियाँ भवरा शोर मचाये
मेघ मल्हार गाये सब मिल कर बादल गिर गिर आये,
खेले गोपियाँ गिरधारी सावन रे ऋतू आई,
झूला झूले सांवरिया सवान रे ऋतू आई,
यमुना तट पे राधा मिलन को कान्हा बंसी बजाये,
रिम झिम रिम झिम बदरा बरसे मधुवन भी इधलाये,
मधुवर सावन में राधे का रूप निखर है आये,
मतवारे नैनो से मन मोहन को रिजाये,
रास रचावे गिरधारी सावन रे ऋतू आई,
झूला झूले सांवरिया सवान रे ऋतू आई,
कैसी ऋतू आई सावन की सारा जग हर्षाये,
श्याम पिया की छवि निराले कण कण भी शर्माए,
कारी कारी कोर बदरियाँ प्रेम रंग बरसाए,
भीगे रंग में सभी श्यामा के कान्हा लगन लगाए,
झूमे दुनिया ये सारी सावन रे ऋतू आई,
झूला झूले सांवरिया सवान रे ऋतू आई,