मासूम बनता है, बड़ा सीधा लगता है ।
चुपके से आकरके, चोरी करता है;
चोरी करके फिर हमसे वरजोरी करता है ।।
आखिर ये चोरी कब-तक,
यशुदा माँ को पता नहीं है जब-तक ।
अब होगी शिकायत घर में,
मैया लेगी खबर तेरी पल भर में ।।
पकड़ रहो, जकड़े रहे रहो, चोरी करता है ।
चोरी करके फिर हमसे वरजोरी करता है ।। मासूम....
निज बाल सखा संग आता,
मेरी मटकी के सब माखन खा जाता ।
दधि- दूध की मटकी तोड़े,
पनघट पे मुझको बहुत सखी ये छेड़े ।।
बाँधे रहो, माँ से कहो, चोरी करता है ।
चोरी करके फिर हमसे वरजोरी करता है ।।
क्या ढोंग रचता है, बड़ा नाटक करता है ।
चुपके से....
अब हाथ दुख रहा है रे,
ले पकड़ ले गोपी हाथ दूसरे मेरे ।
एक ग्वाल सखा को बुलाये,
श्रीकान्त सखा के हाथ कृष्ण पकड़ाये ।।
फटकार रही, डाँट रही, चोरी करता है ।
चोरी करके फिर हमसे वरजोरी करता है ।।
वह खूब हँसता है, बड़ा भोला बनता है ।
चुपके से....
दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज
स्वर : सियाराम जी