रिश्ता मैं जोड़ आई राधे और श्याम से,
लड्डू गोपाल लाई वृन्दावन धाम से,
इस दुनिया से मैने युहीं झूठी प्रीत लगाई,
मिला ना मुझको भाई
लड्डू लाल को बना लिया है,मैंने अपना भाई,
मैं भी चलूंगी इसकी ऊँगली को थाम के,
लड्डू गोपाल लाई.......................
बाँके बिहारी की थी ऐसी झांकी अज़ब निराली,
मोटी-मोटी आँखें इनकी बिन काजल के काली,
अमृत की बूंदें छलकें अखियों के ज़ाम से,
लड्डू गोपाल लाई.......................
सजधज कर जब श्याम सलोना मुरली मधुर बजाए,
चाँद-सितारे इसे निहारें "पाल" तेरे गुण गाए,
चलती है अपनी नईया इनके ही नाम से,
लड्डू गोपाल लाई.......................