करीब से जिसने ज्ञान सीखा

करीब से जिसने ज्ञान सीखा,
वो पूरे जीवन में काम आया ।
जो दूर रह करके सीखता है,
वो पूरे जीवन न सीख पाया ।।
करीब से.........

गुरु के चरणों में सिर झुका के,
रहो तो सब ज्ञान मिल सकेगा ।
जो ज्ञान का करता ना अहम है,
वही सही ज्ञान को है पाया ।।
करीब से........

जरा ये सोचो-विचारो बन्धू ,
कदम तुम्हारे चले थे कब से ?
बड़ों ने पकड़ी थी तेरी अँगुली,
तभी से चलना तू सीख पाया ।।
करीब से.......

करीब जाकर स्वयं को समझो,
तुम्हारे अन्दर ही ईश बैठा ।
उसी को अपना ही कान्त समझो,
जो पूरे सृष्टि को है बनाया ।।
करीब से.......

भजन रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज ।
स्वर : आलोक जी ।