इन प्यासे पपीहे से लोचन को,, निज दर्शन स्वाति पिला जा जरा ।
यह माया मरीच का दूर हटा,, दृग प्रेम का पाठ पढ़ा जा जरा ।।
नव नीरद भेष लिए मुरली,,इन नैनों के बीच समा जा जरा ।
अरे निष्ठुर मोहन आजा जरा,, वह रूप अनूप दिखा जा जरा ।।
अजहू ना आए, हमारे मोहना,,,
आधी रात में खनक गयो बैरी कंगना,
रात बिताऊँ गिन,गिन तारे,
ऐसे निठुर भए श्याम हमारे,
श्याम बिना, मेरो सूनो अंगना,
आधी रात में खनक गयो...
श्याम बिरह में, तड़पी जाऊं
बिजली चमके, डर,डर जाऊं
संग की सहेली, कोई भी संग ना,,,
आधी रात में खनक गयो...
जब से गए मोरी सुध हू ना लीनी
ना जाने सौतन कर लीनी
वर्षों गुजरे, आ जाओ अब ना,,,,
आधी रात में खनक गयो....