आके देश को बचाले ओ कन्हैया नहीं तो लूट जायेगा,
भारत के वासी भटक रहे तेरे देश के वासी भटक रहे,
ये दही दूध को छोड़ चाँद दारू के पहुये घटक रहे,
गौ की सेवा करे न कोई गौए भूखी डोल रही,
तेरे गम में ये अश्क बहा के बार बार ये बोल रही,
आके देश को बचाले ओ कन्हैया नहीं तो लूट जायेगा,
कलयुग के इस दौर में शर्म रही न लाज,
बदल गए चाल और चलन बदले रीति रिवाज,
आके देश को बचाले ओ कन्हैया नहीं तो लूट जायेगा,
चीर हार्न द्रोपती के जैसा होता रोज यहाँ पे,
काली कमली ओड के कन्हियान तू बैठा है कहा पे,
आके देश को बचाले ओ कन्हैया नहीं तो लूट जायेगा,
यहाँ किसी को अपने पापो का डर नहीं,
बिना झूठ और कपट के कोई डगर नहीं,
कहता है सच अनाड़ी मोहित अनुज हमे,
रखवाला तेरे जैसा आता नजर नहीं
आके देश को बचाले ओ कन्हैया नहीं तो लूट जायेगा,