तर्ज़ः होंठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर करदो
सतगुरु तेरे चरणों में,
प्रनाम हमारा है।
कृपा अपनी बनाए रखना,
हमें तेरा सहारा है।।
तुम्हीं जगत गुरु स्वामी,
तुम्हीं देवगुरु भगवन।
तम्हीं सतचित आनंदघन,
शिव विष्णु चतुरानन ।।
गुरु के इन्हीं चरणन को,
राम कृष्ण पखारा है-सतगुरु...
हम दीनों दुःखियों को,
तूने अपनाया है।
हम भूले भटकों को,
तूने राह दिखाया है।।
ज्ञान भक्ति से सतगुरु,
भर दिया भण्डारा है - सतगुरु...
दया दृष्टि सदा रखना,
चरणों से लगा रखना।
अवगुण हमरे सतगुरु,
चित में न कभी धरना ।।
तेरा नाम हे 'मधुप' हरि,
जीवनधन हमारा है - सतगुरु...