Intro:
मंदिरों वाली माँ को पूजा... अपनी माँ को ठुकराया....
दर्द यही शिकवा बनके.... माँ के होंठों पे आया....
(कोरस)
माँ बेटे को याद करे, रो-रो यही फरियाद करे
दिन रैना मैं खून के आँसू बहाती हूँ,
बेटा तुझको जन के मैं पछताती हूँ ।
(पद 1)
तेरी खातिर कितना कष्ट उठाया था,
यही सोच कर, मैंने तुझको जाया था।
के तू मेरे दूध का क़र्ज़ चुकाएगा,
याद करेगा, माँ को नहीं भुलाएगा।
पर बेटे तू अपनी माँ को भूल गया (2),
चंद साँसों में गुब्बारे सा फूल गया।
भटक गया है तुझको राह दिखाती हूँ,
बेटा तुझको जन के मैं पछताती हूँ (2)।
(कोरस)
माँ बेटे को याद करे, रो-रो यही फरियाद करे
दिन रैना मैं खून के आँसू बहाती हूँ,
बेटा तुझको जन के मैं पछताती हूँ (2)।
(पद 2)
जो दिखती हैं उसको तो ना देखे तू,
मुझको तू दुत्कारे उसको पूजे तू।
मुझको भूखा रख के भोग लगाए उसे,
मुझको रुला के भेंटें गा के मनाए उसे।
उसको पुकारा सुनी नहीं आवाज़ मेरी (2),
फिर भी बेटा मैंने मांगी खैर तेरी।
तुझको तेरा फ़र्ज़ मैं याद कराती हूँ,
बेटा तुझको जन के मैं पछताती हूँ (2)।
(कोरस)
माँ बेटे को याद करे, रो-रो यही फरियाद करे
दिन रैना मैं खून के आँसू बहाती हूँ,
बेटा तुझको जन के मैं पछताती हूँ (2)।
(पद 3)
चढ़ के चढ़ाइयाँ ऊँचे पर्वत जाता है,
सोना चांदी क्या-क्या उसपे चढ़ाता है।
पर बेटा इस माँ के तन को ढाँक ज़रा,
मैं ही दिखूँगी अपने मन में झाँक ज़रा।
सच क्या है ये तूने अब तक जाना नहीं (2),
मैं ही वो हूँ तूने पहचाना नहीं।
खुद में तुझको उसका रूप दिखाती हूँ (2),
बेटा तुझको जन के मैं पछताती हूँ (2)।
(कोरस)
माँ बेटे को याद करे, रो-रो यही फरियाद करे
दिन रैना मैं खून के आँसू बहाती हूँ,
बेटा तुझको जन के मैं पछताती हूँ (2)।