राधारमण हमारो प्यारो प्यारो, सखी री में तो देखता रहूं
याकी सूरत पे जाऊं बलिहारी, सखी री में तो देखता रहूं
काण कुण्डल की छवि अति प्यारी
कांधे साजे रे कमरिया कारी
शीश मुकुट पे मोर पंख धारी
नाक नथुनी की कोर अति प्यारी
हाथ लकुट अधर पे बंशी बाजे, छवि को मैं निहारता रहूँ
प्यारे वैजयंती माला उर धारी
हाथ बाजुबंद लरा मुतियारी
जिनके चरणों में पदम विराजे
उनके नूपुर की धुन अति प्यारी
चाल चटपटी टेढ़ी मेढ़ी जाकी, कि सूरत निहारता रहूँ
राधारमण सलोने मतवारे
नैना मिलते ही ऐसा जादू डारे
वृन्दाविपिन किशोरी संग साजे
दास गावे प्रशांत गुन तिहारे
वृन्दावन की श्री कुंज गलिन में मन अटका रहूं