खाटू के मोहन मुरारी मैं गाऊ महिमा तेरी,
तू आके पार लगा जा मझधार है नैया मेरी,
संगी साथी छोड़ गए अब नहीं सहारा किसी का,
अब दीखता न कोई अपना मैं करू असारा जिसका,
मैं लऊ सहारा किसका अब हो गई डूबा देरी
तू आके पार लगा जा मझधार है नैया मेरी,
दुनिया कितनी बेरंगी सब मतलब के साथी,
ओ खाटू के तू राजा अब बन जा मेरा ही माती,
ये दुनिया बस ये चाहती मेरी काटे जड से बेरी
तू आके पार लगा जा मझधार है नैया मेरी,
इस हारे का तू बाबा अब बन जाना सहारा,
डूबे को मेरे बाबा तिनके का देदो सहारा,
अब तो आशीर्वाद तुम्हरा तेरे नाम की माला फेरी,
तू आके पार लगा जा मझधार है नैया मेरी,