मेरी नैया भरोसे तुम्हारे

मेरी नैया भरोसे तुम्हारे,
पार तुमको लगानी पड़ेगी।
बिन पानी के ही आज मोहन,
नाव तुमको चलानी पड़ेगी॥

सिवा तेरे जहाँ में कन्हैया,
दूजा कोई नहीं है हमारा।
दाना-पानी तुम ही हमको देते,
तुमसे चलता है अपना गुज़ारा॥
फिर क्यों रूठे भला आज हमसे,
राज़ दिल की बतानी पड़ेगी।
मेरी नैया भरोसे तुम्हारे॥

प्यार इतना दिया तुमने बाबा,
जिसके लायक कभी भी नहीं था।
कैसे हिचकोले खाती वो नैया,
नाम जिसपे तुम्हारा लिखा था॥
अपनी करनी से फिर से मैं हारा,
हारी बाज़ी जितानी पड़ेगी।
मेरी नैया भरोसे तुम्हारे॥

इनके लाखों दीवाने हैं यारों,
शान दुनिया में जिनकी निराली।
बाबा सोया नसीबा जगाते,
जाता खाली न दर से सवाली॥
तेरा “चंदन” कहे लौ लगा लो,
लाज प्रभु को बचानी पड़ेगी।
मेरी नैया भरोसे तुम्हारे॥