श्याम दाता मुझे तूने दी ज़िन्दगी,
कैसे तेरा भजन गुणकथन छोड़ दू,
जिनकी छाऊ तले मिटे गम की तमन,
फिर मैं कैसे तेरे ये चरण छोड़ दू,
दर्द का आइना थी मेरी ज़िन्दगी,
कर सका ना कभी मैं तेरी बंदगी,
रहम तूने किया दुःख मेरा हर लिया,
एसे तेरी मिलन की लगन कसी छोड़ दू,
श्याम दाता मुझे..........
आज तेरे कर्म से मेरी शान है,
तेरे दर से बनी मेरी पहचान है,
जिस से दोलत मिली इतनी शोहरत मिली
कैसे पवन तेरा वो सदन छोड़ दू,
श्याम दाता मुझे तूने दी ज़िन्दगी
हर खता पे किया माफ़ तूने मुझे,
तेरे एहसान का मूल क्या दू तुझे,
तू है स्वामी मेरा दास मैं हु तेरा कैसे तेरे पदों में नमन छोड़ दू,
श्याम दाता मुझे तूने दी ज़िन्दगी
क्या मिले गा मुझे झूठे संसार से,
ये मुकधर बंधा है तेरे दवार से,
जो वी मांगू वही मिलता जहा,
फिर गजे सिंह क्यों ये रतन छोड़ दू,
श्याम दाता मुझे तूने दी ज़िन्दगी