अपनों ने ठुकराया गैरों की क्या बात करूँ ,
अब आकर गले लगा लो ना श्याम विनती बारम्बार करूँ ॥
मैं हार गया हूँ श्याम मुझे गले लगा ले,
करूँ विनती हाथ पसार हारे के सहारे,
मैं हार गया हूँ श्याम मुझे गले लगा ले॥
मेरी अर्ज़ी पर अपनी मर्ज़ी करो ना,
हाथ दया का सर पे नाथ धार दो ना,
मेरी अर्ज़ी करो स्वीकार पडूँ चरण तुम्हारे,
मैं हार गया हूँ श्याम मुझे गले लगा ले॥
जिसने भी पकड़ी चौखट तेरे दरबार की,
जीत गया वो बाज़ी हारी हुई हार की,
वो झूम उठा सरकार के जय जैकारे,
मैं हार गया हूँ श्याम मुझे गले लगा ले॥
कर दो ना कृपा ऐसी मेरे घर श्याम जी,
करता रहूं सेवा पूजा मैं तो आठों याम जी,
सत्य आया है अब हार लो द्वार तुम्हारे,
मैं हार गया हूँ श्याम मुझे गले लगा ले॥